मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई शर्मनाक घटना पर जीरो टॉलरेंस की नीति’, केंद्र ने SC में बताया क्या कदम उठाए

मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई शर्मनाक घटना पर जीरो टॉलरेंस की नीति’, केंद्र ने SC में बताया क्या कदम उठाए

मणिपुर में महिलाओं के साथ बर्बरता के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में वह शून्य सहनशीलता की नीति पर चलती है। इस केस में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अलग-अलग जगहों से दोषियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की कई टीमें बनाई गई हैं और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के एक अधिकारी को केस की जांच का काम सौंपा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं का वीडियो सामने आने के बाद मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की थी और कहा था कि यदि केंद्र और राज्य सरकारें कदम नहीं उठाएंगी तो वह खुद कार्रवाई करेगा। उसने दोनों सरकारों से इस मामले में उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी भी मांगी थी। केंद्र का यह हलफनामा उसी कड़ी में पेश किया गया है।

मामले की सुनवाई मणिपुर के बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा, मणिपुर सरकार ने 26 जुलाई को डीओपीटी सचिव को पत्र लिखकर इस केस को सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की है। इसके आधार पर गृह मंत्रालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। सरकार को उम्मीद है कि जांच कम से कम समय में पूरी होगी और केस का ट्रायल भी समय पर पूरा होगा। इसके लिए केंद्र सरकार शीर्ष कोर्ट से अनुरोध करती है कि मामले की सुनवाई मणिपुर के बाहर स्थानांतरित की जाए क्योंकि सिर्फ इसी अदालत के पास केस को राज्य के बाहर स्थानांतरित करने की शक्ति है।

डिस्ट्रिक्ट सायकोलॉजिकल सपोर्ट टीमों का गठन
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने हलफनामे में कोर्ट को बताया कि मणिपुर सरकार ने डिस्ट्रिक्ट सायकोलॉजिकल सपोर्ट टीमों का गठन किया है जो राहत शिविरों में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रख रही हैं। दो महिलाओं के साथ जैसा हुआ, वैसी घटनाओं को रोकने के लिए अब यह अनिवार्य किया गया है कि इस तरह के हर मामले की जानकारी सीधे राज्य के पुलिस महानिदेशक को दी जाएगी। डीजीपी की निगरानी में एसपी रैंक का अधिकारी ऐसे मामलों की जांच करेगा। इस तरह के मामलों की जानकारी देने और दोषियों की गिरफ्तारी करवाने वालों को पुरस्कृत करने का भी फैसला किया गया है। चुराचांदपुर में पीड़ितों की मदद के लिए जिला अस्पताल में एक वरिष्ठ मनोचिकित्सक, एक मनोचिकित्सक और एक मनोविज्ञानी की पूरी तरह महिला टीम को तैनात किया गया है।

केंद्र सरकार अपने स्वास्थ्य संस्थानों से भी विशेषज्ञों की सेवाएं प्रदान करेगी। इसके अलावा जिला विधिक सेवा प्रकोष्ठ के जरिये पीड़ितों को विधिक सहायता भी प्रदान की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट मणिपुर में नस्लीय हिंसा के मामलों से संबंधित याचिकाओं पर आज (28 जुलाई) सुनवाई करने वाला है।

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